पड़ोसियों को जयशंकर की दो टूक:चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं, Lac पर एकतरफा बदलाव की कोशिश से बर्दाश्त नहीं

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को चीन को साफ शब्दों में सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एकतरफा बदलाव किए जाने की किसी भी कोशिश से भारत सहमत नहीं होगा। उन्हों ने यह भी कहा कि बीजिंग के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं। ऐसे में मुख्य मुद्दों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

जयशंकर ने भूमध्यसागरीय देश की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के दौरान शुक्रवार को साइप्रस में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत को बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद को उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जयशंकर ने कहा कि भारत के सामने अपनी सीमाओं पर चुनौतियां हैं, जो कोरोना काल में और तेज हो गईं।

दरअसल, नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान दोनों पक्षों के जवानों को मामूली चोटें आईं थीं। जून 2020 में गलवां घाटी में भीषण झड़प के बाद से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच यह पहली बड़ी झड़प थी। दोनों पक्षों के बीच सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए 17 दौर की बातचीत हो चुकी है।

जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि कोई भी देश आतंकवाद से भारत जितना पीड़ित नहीं है। हम सभी के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध चाहते हैं, लेकिन अच्छे पड़ोसी संबंधों का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद के मुद्दे को दरकिनार कर दिया जाए। हम बहुत स्पष्ट हैं।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को चीन को साफ शब्दों में सख्त संदेश दिया। उन्होंने कहा कि चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एकतरफा बदलाव किए जाने की किसी भी कोशिश से भारत सहमत नहीं होगा। उन्हों ने यह भी कहा कि बीजिंग के साथ हमारे संबंध सामान्य नहीं हैं। ऐसे में मुख्य मुद्दों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

जयशंकर ने भूमध्यसागरीय देश की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा के दौरान शुक्रवार को साइप्रस में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत को बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद को उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। जयशंकर ने कहा कि भारत के सामने अपनी सीमाओं पर चुनौतियां हैं, जो कोरोना काल में और तेज हो गईं।

दरअसल, नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान दोनों पक्षों के जवानों को मामूली चोटें आईं थीं। जून 2020 में गलवां घाटी में भीषण झड़प के बाद से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच यह पहली बड़ी झड़प थी। दोनों पक्षों के बीच सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए 17 दौर की बातचीत हो चुकी है।

जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि कोई भी देश आतंकवाद से भारत जितना पीड़ित नहीं है। हम सभी के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध चाहते हैं, लेकिन अच्छे पड़ोसी संबंधों का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद के मुद्दे को दरकिनार कर दिया जाए। हम बहुत स्पष्ट हैं।


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