Abs And Ebd:क्या होते हैं गाड़ी में मिलने वाले ये सुरक्षा फीचर्स, वाहन में कैसे करते हैं काम

 


आपने ABS (एबीएस) और EBD (ईबीडी) जैसे एक्रोनिम्स के बारे में कई बार सुना होगा। खासकर जब आप एक नया वाहन खरीदने के लिए जाते हैं, या कभी-कभी कार की सर्विसिंग करते समय डीलरशिप पर इसके बारे में सुना होगा। कुछ लोग यह सोचकर इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जबकि कुछ लोग इसके बारे में एक मोटा-मोटी समझदारी रखते हैं। इसके अलावा, जब हम पढ़ते हैं कि "सरकार ने कारों में एबीएस अनिवार्य कर दिया है", तो आप अचानक सोचते हैं कि यह क्या है। 

यहां हम आपको इसके बारे में डिटेल में बता रहे हैं। ABS और EBD कारों में मिलने वाले सुरक्षा फीचर्स हैं। सरकार ने ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए गाड़ियों में यह फीचर देना अनिवार्य कर दिया है। आखिर ABS और EBD क्या हैं और ये फीचर कितने महत्वपूर्ण होते हैं। ये किसी वाहन में कैसे काम करते हैं। इनकी उपयोगिता क्या है। आइए जानते हैं वाहन के इस खास सुरक्षा फीचर के बारे में।

सबसे पहले बात करते हैं ABS के बारे में, ABS का पूरा नाम Anti-lock Braking System (एंटी लॉक ब्रेकिंग) है। ये वाहन का एक ऐसा Safety Feature (सुरक्षा फीचर) है जो बाइक या कार को अचानक ब्रेक लगाने पर स्किड होने से बचाता है, साथ ही गाड़ी को नियंत्रित करने का काम करता है। इसमें लगे वाल्व और स्पीड सेंसर की मदद से अचानक ब्रेक लगने पर गाड़ी या बाइक के पहिये LOCK (लॉक) नहीं होते हैं और गाडी बिना स्किड किए कम दूरी में रुक जाती है।

बता दें कि  दुनिया में सबसे पहले ABS को 1929 में हवाई जहाज के लिए डिजाइन किया गया था, जबकि कारों में इसका इस्तेमाल सबसे पहले 1966 में किया गया था। साल 1980 के बाद से इस सुरक्षा फीचर ABS को कारों में लगाया जाने लगा। आज ABS सुरक्षा के लिहाज से इतना जरूरी हो चुका है कि सरकार ने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे हर कार / बाइक (125cc इंजन से ऊपर वाले बाइक) के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है।

ABS सिस्टम के पुर्जे
  • व्हील स्पीड सेंसर
  • इलेक्ट्रोनिक कंट्रोल यूनिट
  • हाइड्रोलिक सिस्टम
ABS सिस्टम कैसे करता है काम

जब अचानक किसी गाड़ी में ब्रेक लगते हैं तो उस वक्त ब्रेक आयल के प्रेशर से ब्रेक पैड पहिये के साथ जुड़ते हैं और उसकी रफ्तार को कम कर देते हैं। तेज रफ्तार में गाड़ी के आगे अगर कुछ रूकावट पैदा होती है जिसकी वजह से गाड़ी को एकदम से रोकना पड़े तो ब्रेक पेडल को जोर से दबाया जाता है ताकि गाड़ी रुक जाये। लेकिन जब तेज रफ्तार में अचानक इतनी जोर से ब्रेक लगते हैं तो ब्रेक पैड व्हील के साथ चिपक जाते हैं। ऐसे में ABS सिस्टम का काम शुरू हो जाता है।

जैसे ही ब्रेक पैड पहिये को जाम करने लगेंगे उसी समय स्पीड सेंसर पहिये की रफ्तार का सिग्नल ECU (Electronic Control Unit) में भेजता है। ECU हर पहिये की रफ्तार का आंकलन करके हर पहिये की रफ्तार के अनुसार हाइड्रोलिक यूनिट को सिग्नल भेजता है। ECU से सिग्नल मिलने पर हाइड्रोलिक सिस्टम अपना काम शुरू करने लगता है। हाइड्रोलिक सिस्टम, ECU से मिले हुए सिग्नल के अनुसार हर पहिये में उसकी रफ्तार के अनुसार प्रेशर को कम या ज्यादा करता रहता है।

और जैसे ही गाड़ी के पहिये जाम होने लगते हैं हाइड्रोलिक सिस्टम ब्रेक प्रेशर को थोड़ा कम कर देता है जिससे पहिये फिर से घूमने लगते हैं, और फिर ब्रेक प्रेशर बढ़ा कर पहिये को रोकता है। खास बात यह है कि ये प्रक्रिया सेकंड में कई बार होती हैं और नतीजा, गाड़ी के पहिये जाम नहीं होते हैं और गाड़ी बिना परेशानी के घुमाई भी जा सकती है। प्रेशर को कम-ज्यादा करने से ब्रैकिंग डिस्टेंस कम हो जाता है।

क्या होता है EBD?

EBD को Electronic Brakeforce Distribution कहते हैं। ये एक ऐसा सिस्टम है जिससे गाड़ी की रफ्तार, भार और रोड की स्थिति को देखते हुए, ब्रेक अलग-अलग पहिये को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है। जब कभी एकदम से ब्रेक लगते हैं तो गाड़ी आगे की तरफ को दबती है और जब किसी मोड़ पर गाड़ी को मोड़ते हैं तो गाड़ी का वजन और उस पर बैठी सवारियों का भार एक तरफ होता है।

ऐसे में जब इस स्थिति में एकदम से ब्रेक लगाने पड़ते हैं तो बिना EBD की गाड़ियों के स्किड होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि EBD सिस्टम वजन और रोड की कंडीशन के मुताबिक अलग-अलग पहिये को अलग-अलग ब्रेक फोर्स देता है जिसकी वजह से गाड़ी ऐसी परिस्थिति में भी नियंत्रण में रहती है और स्किड नहीं होती।

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