जब ‘मी टू‘’ अभियान चला उस समय अभिनेत्री पूजा बेदी ने बहुत जोरदार तरीके से गलत तरीकों से प्रताड़ित किए जा रहे पुरुषों के लिए आवाज उठाई। अब वह एक बार फिर इसी मुद्दे पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'इंडियाज सन्स: ए टेल ऑफ फाल्स रेप केस सर्वाइवर्स' को लेकर जनता के बीच आई हैं। लंबे अरसे से चर्चा में रही इस डॉक्यूमेंट्री को डिजिटल जगत में रिलीज कर दिया गया है। इस मौके पर पूजा ने कहा कि महिलाओं के लिए जो कानून हैं, उससे उनकी सुरक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कोई इनका दुरुपयोग करके पुरुषों की जिंदगी बर्बाद कर दें। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस अवसर पर इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर एक परिचर्चा भी हुई, जिसका उद्देश्य बलात्कार कानूनों के दुरुपयोग पर एक संवाद शुरू करना और इन मामलों में दबे रहे गए 'अनकहे सच' को प्रकट करना रहा।
महिला और पुरुष को समान अधिकार नहीं
परिचर्चा के दौरान पूजा बेदी ने बताया कि कैसे पुरुषों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है, निर्दोष पुरुषों के खिलाफ कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है और रिपोर्टिंग कैसे पक्षपातपूर्ण है। अपने बयान का समर्थन करने के लिए उन्होंने कहा, 'आप उस महिला का नाम नहीं ले सकते जो एक पुरुष पर आरोप लगा रही है लेकिन पुरुष का नाम और फोटो उसके दोषी साबित होने से पहले ही दुनिया को दिखा दिया जाता है। बलात्कार, दहेज और यौन उत्पीड़न के झूठे मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं के खिलाफ ज्यादा कार्रवाई भी नहीं की जाती है।
फिल्म की निर्देशक दीपिका नारायण भारद्वाज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन पुरुष दिवस पर विचार तक नहीं किया जाता है। यह प्रमुख रूप से प्रिंट मीडिया के कारण है कि पुरुषों पर ऐसे झूठे मामलों को गंभीरता से लिया जाता है। उन्होंने कहा कि कई बड़े ओटीटी प्लेटफार्म ने उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म की खूब सराहना की गई लेकिन जब इसे रिलीज करने की बारी आई तो उनकी हिम्मत नहीं हुई। ऐसा इसलिए क्योंकि झूठे मामलों में पुरुषों के उत्पीड़न पर देश की मीडिया का कभी ध्यान ही नहीं जाता।
परिचर्चा के दौरान इस अवसर पर रेप केस सर्वाइवर्स में से एक प्रिंस गर्ग ने बताया कि कैसे उन्होंने बरी होने से पहले बलात्कार के झूठे आरोप में पांच साल जेल में बिताए। भले ही उसके पास सीसीटीवी फुटेज था, जिससे पता चलता है कि घटना के समय वह मीलों दूर थे, लेकिन उसकी दलीलों को तफ्तीश के दौरान अनसुना कर दिया गया। वह सिर्फ 18 साल के थे जब उन्हें जेल हुई और सीए बनने का उनका सपना पूरा नहीं हो सका। प्रिंस ने कहा, 'मैं अपने करियर को फिर से शुरू करने की कल्पना भी नहीं कर सकता क्योंकि रेपिस्ट का टैग दिए जाने के बाद से मुझे समाज में स्वीकार नहीं किया जाता है।'
जिन अन्य मामलों पर चर्चा की गई उनमें पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर का भी मामला शामिल है। उनकी पत्नी नूतन ठाकुर के साथ कुछ लोगों की सियासी रंजिश थी और इस मामले में मोहरा कथित रूप से अमिताभ ठाकुर को बना दिया गया। एक आईपीएस अफसर को अपनी बेगुनाही साबित करने में तीन साल लग गए तो जन साधारण की ऐसे मामलों में बिसात ही क्याहै। एक अन्य मामले में अरविंद भारती के भाई नितिन भारती ने चर्चा की। अरविंद ने दिसंबर 2017 में 16 पेज का सुसाइड नोट छोड़कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। अपनी पत्नी ऋचा द्वारा दायर एक झूठे दहेज मामले से लड़ने में वह आठ साल तक व्यथित रहे। सुसाइड नोट में उनके आखिरी शब्द थे, 'मैं पहले एक अंधी व्यवस्था के कारण जीवन समाप्त कर रहा हूं जो केवल महिलाओं की सुनती है और दूसरी मेरी पूर्व पत्नी ऋचा की वजह से।'