जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, टेरर लिंक होने की वजह से 5 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त।

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Highlights

  • आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कार्रवाई
  • टेरर लिंक होने की वजह से 5 सरकारी कर्मचारी बर्खास्त
  • इससे पहले 36 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर किया गया था

Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की जड़ों को खत्म करने के लिए बड़ी कार्रवाई की गई है। यहां आतंकवाद से संबंधित होने की वजह से 5 सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया है। ये लोग नार्को-टेरर सिंडिकेट चलाने और आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सहायता करने के मामलों में शामिल थे। बता दें कि सरकार उन सभी लोगों को गंभीरता से ढूंढ रही है, जिनका किसी भी तरह से आतंकियों से कोई कनेक्शन है।

जिन 5 लोगों के खिलाफ ये कार्रवाई हुई है, उनके नाम तनवीर सलीम डार, अफक अहमद वानी, इफ्तिखार अद्राबी, इरशाद अहमद खान, अब्दुल मोमिन पीर है। इसमे तनवीर जम्मू कश्मीर पुलिस में कॉनस्टेबल के रूप में सेवाएं दे रहा था। 

अफक अहमद वानी बारामूला सेंट्रेल कॉपरेटिव बैंक में मैनेजर था और इफ्तिखार अद्राबी बीडीओ ऑफिस में प्लांटेशन सुपरवाइजर के रूप में काम कर रहा था और बाद में विलेज लेवल वर्कर बन गया था। 

वहीं इरशाद अहमद खान जल शक्ति विभाग में सेवाएं दे रहा था और अब्दुल मोमिन पीर पीएचई सबडिवीजन में असिस्टेंट लाइनमैन के रूप में सेवाएं दे रहा था। 

36 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर किया गया

इससे पहले खबर सामने आई थी कि जम्मू-कश्मीर सरकार जहां एक ओर राज्य सरकार के कर्मचारियों की सर्विस में सुधार के लिए तमाम उपाय अपना रही हैं वहीं अक्षम और भ्रष्ट अधिकारियों को सेवा से बाहर भी कर रही है। राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 36 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर कर दिया है। इन पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगे थे इसलिए उन्हें समय पूर्व वीआरएस दे दिया गया। 

जांच के बाद रिटायर करने का फैसला

भ्रष्टाचार के खिलाफ राज्य सरकार ने इन कर्मचारियों के रिकॉर्ड और मामलों की जांच के बाद इन्हें समय पूर्व रिटायर करने का फैसला लिया। इन पुलिसकर्मियों के तार भ्रष्टाचार से जुड़े हुए थे इसके अलावा ड्यूटी के वक्त इनकी तरफ से लापरवाही बरती गई। यहां तक कहा गया कि इनमें से कुछ पुलिस अधिकारी असामाजिक गतिविधियों में शामिल थे। इन कर्मचारियों की सेवा की समीक्षा के बाद तैयार रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने इन्हें समय से पहले रिटायर करने का फैसला लिया।

सही तरीके से नहीं निभा रहे थे जिम्मेदारियां

समीक्षा समिति की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि जम्मू एंड कश्मीर सिविल सर्विस रेग्यूलेशन्स के अनुच्छेद 226 के तहत इन पुलिसकर्मियों को समय से पहले रिटायरमेंट देने का फैसला हुआ है। समीक्षा समिति को जांच में यह भी पता चला कि कई पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रहे ते। कुछ के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज हुए। जिन लोगों को जबरन रिटायर किया गया है उनकी ईमानदारी पर भी सवाल उठाए गए हैं। 

भविष्य में अगर ऐसे मामले आए तो बड़ी कार्रवाई होगी

राज्य सरकार की ओर से जारी बयान में यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि अगर भविष्य में ऐसे मामले आएंगे तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगर कर्मचारी अपनी ड्यूटी ठीक से नहीं निभाएंगे और भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाएंगे तो उन सभी को सरकारी सेवा में बने रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पिछले कुछ सालों से राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार को लेकर सख्त रवैया अपना रखा है। इससे पहले भी कई अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया गया है।

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